वफा अब्बास की क़लम से...
प्यारे देशवाशियों। जितना मैं समाज सेवा करने के लिए उत्सुक हूं,
मेरी कलम भी उस सेवाभाव को लिखने के लिए उतना ही उत्सुक है।
"सामाजिक संस्थाएँ कुछ बुनियादी मानवीय आवश्यकताओं को पूरा करने
के लिए संगठित और स्थापित की गई प्रणालियों को कहते हैं।
"सामाजिक संस्था समाज की वह संरचना है जिसको सुस्थापित
कार्यविधिओं द्वारा व्यक्तियों की आवश्यकताओं को पूरा करने के
लिए संगठित किया जाता है।
अंबर फाउंडेशन का उद्देश्य पिछड़े, दलित, गरीब मुस्लिम और दलित
समुदायों की महिलाओं, युवाओं और बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य और
सम्मान के क्षेत्रों में सहयोग करके और समाज का हिस्सा बनाना है,
जिससे वे पहले वंचित थे। अंबर फाउंडेशन के प्रमुख और संस्थापक के
रूप में आपको बधाई देना मेरे लिए सम्मान और सौभाग्य की बात है।
मुझे भारत में मानवीय आधार पर समुदाय की सेवा करने का अवसर मिला
ये मेरे लिए सम्मान की बात है। मैंने देश के जरूरतमंद और असहाय
बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों की मदद और सेवा के लिए इस संस्था
की शुरुआत की और लखनऊ से कार्य प्रारंभ किया। अब इसे अगले स्तर
पर ले जाने का समय आ गया है, उन लोगों के सहयोगात्मक समर्थन के
साथ जो सामुदायिक समर्थन में योगदान देना चाहते हैं लेकिन उनके
पास सही मंच नहीं है जो भरोसेमंद हो ।
अंबर फाउंडेशन देश और प्रदेश में समाज के ऐसे ही कुछ प्रभावित
लोगों की मदद के लिए हाथ बढ़ाता है। यद्यपि हम हम सभी के लिए सभी
समस्याओं का समाधान नहीं कर सकते हैं, मगर हम किसी को आँखों की
रौशनी देकर उसके लिए संसार को रौशन कर सकते है या किसी का खाली
कटोरा भर कर सकते है, बीमारों को इलाज कराने में मदद कर सकते है,
उनकी जान बचा सकते हैं, जरूरतमंदों को कपड़े पहना सकते हैं,
बच्चों को शिक्षित कर सकते हैं, चिकित्सा प्रदान कर सकते हैं या
जो दयालु कार्य है जिनकी समाज हमसे अपेक्षा करता है, हम उसे कर
सकते है। मैं अंबर फाउंडेशन के बैनर तले ऐसे ही लोगों को एक साथ
लाना चाहता हूं, जो लोगों की उम्मीदों का सहारा बनें, किसी की
आंखों की रोशनी बनें, किसी के लिए इल्म का सहारा बनें। मुझे
उम्मीद है कि आप हमारे साथ आएंगे और मेरे हाथों को मजबूत करेंगे
जिससे की आपके हाथ भी मजबूत हों और ये सभी हाथ मिलके लोगों के
साथ हों। बस , हम अभी भी एक हाथ मिलाने की दूरी पर हैं।